NEET Grace Marks Controversy; NTA | National Testing Agency | NEET में 1563 कैंडिडेट्स को ग्रेस मार्क्स: प्रभावित सेंटर्स पर बच्चे 3 हजार, शिकायतकर्ता 20 हजार; फिर NTA ने कैसे तय किया 1563 का नंबर
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NEET रिजल्ट में ग्रेस मार्क्स पाने वाले 1563 कैंडिडेट्स के लिए रीएग्जाम 23 जून को होना है। NTA ने 13 जून को सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि रिजल्ट में जिन 1563 कैंडिडेट्स को ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं, उनके मार्क्स कैंसिल होंगे और इन्हें रीएग्जाम का ऑप्शन दिया जाएगा। खास बात ये है कि NTA ने कोर्ट को इस बात का कोई सबूत नहीं दिया कि क्यों 1563 कैंडिडेट्स को ही ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं।
NTA ने सुप्रीम कोर्ट की पहली ही सुनवाई में रिजल्ट बदलने की बात कह दी। हालांकि, ये सवाल अभी भी बरकरार है कि NTA ने ग्रेस मार्क्स देने के लिए 1563 कैंडिडेट्स का चुनाव कैसे किया।
हर सेंटर पर औसतन 500 स्टूडेंट्स ने परीक्षा दी है
NTA ने सुप्रीम कोर्ट को जवाब दिया था कि 4 स्टेट्स के 6 एग्जाम सेंटर्स पर ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं। परीक्षा में हर सेंटर पर औसतन 500 बच्चे थे। ऐसे में 6 सेंटर्स पर प्रभावित बच्चों की संख्या 3 हजार से ज्यादा होनी चाहिए थी।
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट पिटीशनर और ऑनलाइन कोचिंग PW के संस्थापक अलख पांडे ने हमसे कहा, ‘कोर्ट में NTA ने बताया कि दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और छत्तीसगढ़ के कुछ सेंटर्स पर पेपर बंटने में देरी हुई। हालांकि, ये ‘कुछ’ सेंटर्स कौन से हैं, इसको लेकर कोई जानकारी नहीं दी। ये 1563 का नंबर पूरी तरह फेक है। पीड़ित स्टूडेंट्स की असल गिनती 2.5 से 3 लाख है।
6 सेंटर्स पर गड़बड़ी का कोई साक्ष्य नहीं
NTA ने सेंटर्स की गिनती कोर्ट में बताई, लेकिन इसकी जानकारी नहीं दी कि 6 सेंटर्स की पहचान कैसे हुई। NEET परीक्षा के सभी 4750 एग्जाम सेंटर्स के 50 हजार से ज्यादा कमरों में CCTV की निगरानी में परीक्षा हुई है। एक्सपर्ट अलख पांडे का कहना है कि NTA के लिए इतने CCTV चेक करना संभव नहीं है, तो क्या एग्जाम सेंटर्स की शिकायत पर ही भरोसा करके ग्रेस मार्क्स दे दिए गए।
कोर्ट में शिकायत करने वाले स्टूडेंट्स 20 हजार से ज्यादा
5 मई को एग्जाम होने के बाद से ही अलग-अलग सेंटर्स से NEET एग्जाम में देरी होने की खबरें आने लगीं। कोटा के चर्चित टीचर और मामले के याचिकाकर्ता नितिन विजय यानी NV सर के अनुसार, 20 हजार कैंडिडेट्स ने परीक्षा के खिलाफ डिजिटल याचिकाएं दायर की हैं। इनमें से अधिकांश शिकायतें लॉस ऑफ टाइम की हैं। ये गिनती 1563 से कहीं ज्यादा है।
इस मामले पर अलख पांडे ने कहा, ‘2018 के CLAT एग्जाम के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसे कई बच्चे हैं जो कोर्ट नहीं पहुंचते, उन्हें भी शिकायत दर्ज करने का मौका मिलना चाहिए। CLAT एग्जाम में जब गड़बड़ी सामने आई थी, तो शुरुआत में कहा गया था 25 बच्चे पीड़ित हैं, जबकि आखिर में नंबर 5 हजार से ज्यादा निकला था। ऐसे में NEET मामले में भी सही नंबर 2 लाख से भी ज्यादा होगा।’
NTA ने नहीं बताया लॉस ऑफ टाइम को ग्रेस मार्क्स में बदलने का फॉर्मूला
NEET के 67 में से 6 टॉपर हरियाणा के हरदयाल पब्लिक स्कूल सेंटर से हैं। यहीं के 2 और कैंडिडेट्स को 718 और 719 नंबर भी मिले हैं। NTA के अनुसार, इस सेंटर पर कन्फ्यूजन में कैंडिडेट्स को गलत क्वेश्चन पेपर के सेट बांट दिए गए थे। ऐसे में स्टूडेंट्स के करीब 37 मिनट बर्बाद हुए। NTA ने टाइम लॉस के आधार पर इन्हें ग्रेस मार्क्स दे दिए।
NTA ने कहा, ‘हमने सुप्रीम कोर्ट के 2018 के जजमेंट का इस्तेमाल किया है जो कहता है कि टाइम लॉस होने पर आप आंसरिंग एफिशिएंसी को कैलकुलेट करके ग्रेस मार्क्स दे सकते हैं।’ लेकिन NTA ने ये नहीं बताया कि कितने टाइम लॉस पर कितने ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं।
अलख पांडे ने कहा- आंसरिंग एफिशिएंसी सही फॉर्मूला नहीं
अलख पांडे ने कहा, ‘क्या लॉस ऑफ टाइम के लिए सेंटर्स ने कोई शिकायत दर्ज की थी। यदि हां तो शिकायत किस मीडियम से दर्ज की गई।’ उन्होंने ये फॉर्मूला समझाते हुए कहा-
आंसरिंग एफिशिएंसी के दो पार्ट होते हैं-
1. बच्चे की आंसर देने की स्पीड
2. एक्युरेसी
मान लीजिए किसी बच्चे को पेपर 1 घंटे देर से मिला। फिर उसने सॉल्व करना स्टार्ट किया। आमतौर पर NEET एग्जाम में बच्चा बायोलॉजी का सेक्शन पहले सॉल्व करता है। वह 45 से 50 मिनट में 90 क्वेश्चन कर लेता है, तो उसकी स्पीड 1 मिनट में 2 क्वेश्चन करने की है। शुरुआत में बच्चा वही क्वेश्चन सॉल्व करना शुरू करता है, जिसको लेकर वह कन्फर्म होता है।
ऐसे में ये नजर आता है कि बच्चे की जो आंसरिंग एफिशिएंसी है, वो रियल नहीं है। बच्चे की आंसरिंग एफिशिएंसी पेपर के आखिरी एक घंटे में खराब होती है। मतलब ये है कि आप बच्चे को उसकी बेस्ट परफॉर्मेंस पर जज कर रहे हैं, लेकिन इवैलुएट कर रहे हैं उसकी सबसे बेकार परफॉर्मेंस पर।
एजुकेशन मिनिस्ट्री ने रिव्यू के लिए पैनल बनाया था
एजुकेशन मिनिस्ट्री ने NEET में 1563 कैंडिडेट्स को दिए ग्रेस मार्क्स को रिव्यू करने के लिए UPSC के पूर्व प्रेसिडेंट की अध्यक्षता में चार सदस्यीय पैनल का गठन किया।
NTA डायरेक्टर सुबोध सिंह ने कहा, ‘1563 कैंडिडेट्स के रिजल्ट को रिव्यू करने के लिए एक हाई कमीशन पैनल बनाया गया है। ये पैनल हफ्ते भर में इन कैंडिडेट्स के रिजल्ट का रिव्यू करके अपनी रिपोर्ट देगा। इसके आधार पर रिजल्ट में बदलाव किया जा सकता है।
इस पैनल में NTA चेयरमैन और प्रोफेसर प्रदीप कुमार गुप्ता थे, जो UPSC के पूर्व चेयरमैन भी रह चुके हैं। इसके अलावा पैनल में UPSC पूर्व मेम्बर टीसी अनंत, राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS) के पूर्व प्रेसिडेंट सीबी शर्मा और नेशनल मेडिकल कमीशन के मेम्बर और डीडीजी (DGHS) डॉ. बी. श्रीनिवास शामिल थे।
NTA डायरेक्टर सुबोध कुमार सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर 1563 कैंडिडेटस के रिव्यू की बात कही थी।
पैनल ने नहीं बताया 1563 कैंडिडेट्स कैसे चुने
सुप्रीम कोर्ट को दी अपनी रिपोर्ट में पैनल ने कहा कि CLAT 2018 के फैसले में 4690 स्टूडेंट्स को फॉर्मूले के आधार पर 1563 कैंडिडेट्स को ग्रेस मार्क्स दिए गए, जिसकी वजह से इतने मार्क्स आ गए, जबकि CLAT और NEET में टाइमस्टैम्प में फर्क है।
इस पैनल ने ये तय किया कि इन कैंडिडेट्स का एग्जाम दोबारा करवाया जाना ही बेहतर होगा। हालांकि, 1563 कैंडिडेट्स को ही ग्रेस मार्क्स मिले हैं, इसको लेकर पैनल ने कुछ भी साफ नहीं किया है।
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