23 lakh aspirants for 1 lakh MBBS seats Why is NEET so Popular in India | MBBS की 1 लाख सीट्स के लिए 23 लाख एस्पिरेंट्स: 48% सीटों की फीस 80 लाख से 1.5 करोड़ तक; क्यों इतना पॉपुलर है NEET
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मेडिकल की पढ़ाई भारत में किसी जंग लड़ने से कम नहीं है। मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए कट-थ्रोट कॉम्पिटिशन और लाखों की फीस के बावजूद हर साल, 20 लाख से ज्यादा बच्चे नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट यानी NEET के लिए अप्लाई करते हैं।
आखिर क्या वजह है कि 12वीं के बाद दिया जाने वाला ये एग्जाम इतना पॉपुलर है, जिसकी तैयारी के लिए स्टूडेंट्स सालों- साल ड्रॉप लेते हैं। कई बार पास कराने के लिए नकल माफियाओं के जाल में भी फंस जाते हैं।
दरअसल, देश में MBBS की पढ़ाई की राह मे 2 बड़ी चुनौतियां हैं-
1. पहली, मेडिकल की पढ़ाई के लिए बेहद कम सीटें। 2. और दूसरी, सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की फीस में जमीन आसमान का फर्क।
नेशनल मेडिकल काउंसिल यानी NMC के मुताबिक, देश में कुल 706 मेडिकल कॉलेज हैं जिनमें 1,09,172 सीटें हैं
एग्जाम देने वाले स्टूडेंट्स की बात करें, तो इस साल साढ़े 23 लाख स्टूडेंट्स ने NEET UG का एग्जाम दिया। यानी टोटल सीट्स के मुकाबले 23 गुना ज्यादा कैंडिडेट्स ने एग्जाम दिया। मतलब 1 सीट पाने के लिए 23 कैंडिडेट्स ने मुकाबला किया।
एग्जाम के बाद शुरू होती है सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन की होड़
NEET काउंसलिंग में टॉप रैंक होल्डर्स को ही सरकारी सीटें मिल पाती हैं। कम रैंक वाले कैंडिडेट्स के लिए बचती हैं प्राइवेट कॉलेजों की सीटें।
अब जरा सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की ऐवरेज फीस पर नजर डालें-
सबसे कम और सबसे ज्यादा फीस वाले सरकारी कॉलेज
देश में सबसे कम फीस वाली सेंट्रल यूनिवर्सिटी लेडी हरदिंज मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली है। यहां सालाना ट्यूशन फीस 1350 रुपए है। वहीं सबसे ज्यादा फीस वाली सेंट्रल यूनिवर्सिटी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी है जहां सालाना ट्यूशन फीस 45,690 रुपए है।
स्टेट गवर्नमेंट कॉलेजों की बात करें, तो यूपी में सबसे कम फीस वाला MBBS कॉलेज, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज फरीदाबाद है। यहां पूरे साल की ट्यूशन फीस 36000 रुपए है। वहीं, सबसे ज्यादा फीस वाले गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, ग्रेटर नोएडा में सालाना ट्यूशन फीस 83,600 रुपए है।
AIIMS में 3 से 4 लाख में होता है MBBS
AIIMS में भारतीय छात्र MBBS कोर्स के लिए 5,856 रुपए साल की फीस भरते हैं। वहीं, JIPMER में ये फीस 5,356 रुपए सालाना है। यहां मेस की फीस 36,000 रुपए भी जोड़ लें तो सेंट्रल यूनिवर्सिटीज की 1,180 सीटों पर एवरेज एनुअल फीस 22,979 रुपए है। 5 साल की पढ़ाई का कुल खर्च लगभग 3.65 लाख रुपए है।
स्टेट गवर्नमेंट कॉलेजों की ऐवरेज फीस 5 लाख तक
लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की ट्यूशन फीस सालाना 18 हजार रुपए है। इसमें एग्जाम फीस 6,000 रुपए, हॉस्टल फीस सालाना 3,600 रुपए, कॉशन मनी (रिफंडेबल) 10,000 रुपए मिलाकर कुल फीस (सालाना) 54,600 रुपए है। ऐसे में इसका कुल एजुकेशन कॉस्ट 2.5 लाख रुपए तक होगा।
एक और उदाहरण लोकमान्य तिलक मुनिसिपल मेडिकल कॉलेज, मुंबई का लें, तो यहां ट्यूशन फीस 1,25,700 रुपए और अन्य फीस 17,520 है। अन्य फीस में डेवलपमेंट फंड फीस, लाइब्रेरी फीस, एडमिशन फीस सहित अन्य दूसरे प्रकार की फीस शामिल है। इस कॉलेज में MBBS कुल फीस 1,43,220 रुपए पहले वर्ष की फीस है।
प्राइवेट कॉलेज से पढ़ाई के लिए चाहिए अच्छा बजट
देश के प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में एवरेज एनुअल फीस 14.20 लाख रुपए है। यानी 5 साल की पढ़ाई का कुल खर्च लगभग 80 लाख रुपए आता है। इसके अलावा, प्राइवेट डीम्ड यूनिवर्सिटीज में सालाना एवरेज फीस 25 लाख रुपए है। इसमें मेस और हॉस्टल जोड़कर 5 साल का कुल एजुकेशन कॉस्ट 1.5 करोड़ तक पहुंचता है।
सबसे कम और सबसे ज्यादा फीस वाले प्राइवेट कॉलेज
मेडिकल एडमिशन एक्सपर्ट आलोक कुमार ने बताया कि केरल के सभी मेडिकल कॉलेजों में MBBS की ऐवरेज सालाना फीस 7.7 लाख रुपए है। वहीं सबसे महंगे प्राइवेट कॉलेज की बात करें तो पैसिफिक मेडिकल कॉलेज, उदयपुर की सालाना फीस 35 लाख, यानी 5 साल की कोर्स फीस 1.5 करोड़ से ज्यादा है।
सबसे कम फीस वाली प्राइवेट डीम्ड यूनिवर्सिटी सिम्बायोसिस इंटरनेशनल डीम्ड यूनिवर्सिटी है, जिसकी सालाना फीस 10 लाख है। वहीं SRM चेन्नई की 5 साल की कोर्स फीस 1.65 करोड़ है, जो देश में सबसे ज्यादा है।
48% सीटें प्राइवेट कॉलेजों में, इनकी ऐवरेज फीस 80 लाख
देश में 48% मेडिकल सीटें प्राइवेट कॉलेजों में है। इनकी 5 साल की ऐवरेज कोर्स फीस 80 लाख रुपए है। ऐसे में इन सीटों पर वहीं कैंडिडेट्स एडमिशन ले पाते हैं जो इतनी फीस अफोर्ड कर सकें।
इसी के चलते ये सीटें एक तरह से अमीर कैंडिडेट्स के लिए रिजर्व होती हैं। इसे इस उदाहरण से समझें कि 720 में से 107 नंबर पाने वाले कैंडिडेट्स को सीट मिल जाती है जबकि 550 नंबर पर सरकारी कॉलेज न पाने वाला कैंडिडेट ईयर गैप लेकर दोबारा तैयारी करता है।
रूस और जॉर्जिया में एक तिहाई फीस में होता है MBBS
सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों की फीस गैप के चलते ही जिन स्टूडेंट्स को सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन नहीं मिलता, वो दूसरे देशों से मेडिकल की पढ़ाई करते हैं।
रूस और जॉर्जिया जैसे देशों में मेडिकल कोर्स की फीस भारत के प्राइवेट कॉलेजों की फीस एक तिहाई से भी कम है। कैंडिडेट्स 15 लाख से 30 लाख का कैपिटल खर्च करके अपनी पढ़ाई और हॉस्टल की फीस दोनों पूरी कर सकते हैं।
पहले मेडिकल की पढ़ाई का अड्डा यूक्रेन हुआ करता था। लेकिन रुस-यूक्रेन वार के चलते स्टूडेंट्स अभी यूक्रेन जाने से कतरा रहे हैं। अब कैंडिडेट्स की पसंद रूस, जॉर्जिया, फिलीपीन्स और चीन आदि बने हुए हैं।
विदेशों से पढ़कर भी पास करना होता है FMGE एग्जाम
फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन यानी FMGE एक तरह का स्क्रीनिंग टेस्ट है, जो भारत में मेडिकल लाइसेंस हासिल करने और भारत में मेडिकल प्रैक्टिस करने के लिए जरूरी है। विदेश से पढ़कर लौटे कैंडिडेट्स को देश में प्रैक्टिस करने के लिए एग्जाम देना जरूरी है।
साल 2023 में हुए FMGE एग्जाम के लिए 63,250 कैंडिडेट्स ने रजिस्ट्रेशन किया था। 62,077 कैंडिडेट्स एग्जाम में शामिल हुए थे। इनमें से 16.52% यानी 10,255 कैंडिडेट्स ही पास हुए। मतलब विदेशों में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले लगभग 84% कैंडिडेट्स भारत में प्रैक्टिस करने की क्वालिफिकेशन हासिल नहीं कर पाए। मौजूदा समय में देश में MBBS करने वाले कैंडिडेट्स की संख्या देश से बाहर MBBS करने वाले कैंडिडेट्स की संख्या लगभग बराबर है।
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